आतंकवाद पर निबंध
अथवा आतंकवाद की समस्या एवं समाधान
अथवा भारत में आतंकवाद की समस्या
अथवा विश्व और आतंकवाद
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Essay on Terrorism |
रूपरेखा :-
- प्रस्तावना
- आतंकवाद क्या है ?
- आतंकवाद का विश्वव्यापी स्वरूप
- भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ
- मुक्ति के उपाय
- उपसंहार
प्रस्तावना :-
मजहब के नाम पर आदमियता का खून, नए नए चेहरों में जेहादी जूनून।
क्या खूब स्वागत है इक्कीसवीं सदी का, मौत की स्याही से लिखा जाता है सुकून।
बमों के धमाके, गोलियों की तड़तड़ाहट, असुरक्षित जन-जीवन असुरक्षित धर्मस्थान, निर्दोषों का बहता लहू, निराश्रितों के बढ़ते शरणस्थल, एक यह भी तस्वीर है हमारे तथाकथित सभ्य और आधुनिक जगत की। कोई भी कहीं भी सुरक्षित नहीं है। रेल हो या बस, कार हो या वायुयान, नमाज हो या आरती, सबके सब किसी भी क्षण पड़ने वाली मौत से आतंकवादी हैं।
आतंकवाद ने आज मानव-जीवन को अत्यन्त दयनीय और असुरक्षित बना दिया है । समाचार-पत्र आतंकवादी कुकृत्यों के समाचारों से भरे रहते हैं। सत्य के मुँह पर ताले डालकर, न्याय को अपने कदमों पर झुकने को मजबूर करके आतंकवाद सारे विश्व पर छाया हुआ एक कुत्सित प्रयास है।
आतंकवाद क्या है ?
आतंकवाद बल प्रयोग द्वारा तथा आतंक फैलाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का बर्बर तरीका है। उपनिदेशकवादी सत्ताओं के विरुद्ध वहाँ की जनता ने कभी हथियार उठाये थे। वह एक क्रन्तिकारी अभियान था। उनके पीछे स्वतन्त्रता और न्याय का आधार था किन्तु आज तो कुकुरमुत्तों की भाँति ढेरों संगठित गिरोह संसार में फैले हुए हैं जिनके उद्देश्य बड़े सीमित और स्वार्थपूर्ण हैं। धन ऐंठना, निर्दोष लोगों, महिलाओं और बच्चों तक की हत्या करना तथा बलात्कार आदि आज के इन तथाकथित मुक्तिमोर्चों के कुकृत्य हैं।
आतंकवाद का विश्वव्यापी रूप :-
आतंकवादी आज एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका है। धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक मुखौटे चढ़ाये हुए ये निन्दनीय आधुनिक डकैत हर देश की चिंता का कारण बने हुए हैं। कुछ संगठन तो वास्तव में अन्याय के विरुद्ध जनता के संगठन हैं। तानाशाही और दमन के खिलाफ इनका जन्म हुआ है। पर वे उँगलियों पर गिनने लायक ही हैं। इनके अतिरिक्त ढेरों सशस्त्र-संगठन है जो धन ऐंठने या अपना आतंक जमाकर अवैध गतिविधियों को अबाध गति से चलाये रखने के लिए बनाये गए हैं।
इनमें मादक पदार्थों तथा शस्त्रों का अवैध व्यापार चलाने वाले गिरोह प्रमुख हैं। आज संसार के सभ्यतम देशों में सफेदपोश माफिया संगठन अपना विशाल कारोबार चला रहे हैं। इनके द्वारा भाड़े पर खरीदे गए लोग सारे संसार
में फैले हैं। ये लोग सरकारी तंत्र को आतंकित करके तथा जनता का मुँह बंद करने के लिए हत्याएँ तथा ध्वंसात्मक कार्य करके अपना समानान्तर साम्राज्य चला रहे हैं।
आतंकवाद का सबसे खतरनाक और निन्दनीय स्वरूप सरकारी या राजकीय आतंकवाद है। संसार के अनेक राष्ट्र अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए तथा अहंकारपूर्ण मूर्खता से प्रेरित होकर आतंकवादियों को संगठित करने और उन्हें विरोधी राष्ट्रों में आतंक फैलाने को भेजने का कार्य सुनियोजित ढंग से करते हैं।
विश्व की महाशक्ति के रूप में विख्यात अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन इमारत पर हमला किया तो अमेरिका की नींद खुली। परिणामस्वरूप उसने अफगानिस्तान के तालिबान शासन का सफाया कर दिया। ईरान द्वारा सलमान रशदी को प्राणदण्ड का फतवा दिया जाना तथा पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को भेजा जाना इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ :-
शस्त्र-बल से अपनी माँगें पूरी कराने का तरीका भारत में स्वतन्त्रता संग्राम के दिनों से प्रारम्भ हुआ था। ब्रिटिश शासन के क्रूर दमन तथा भारत को गुलाम बनाये रखने की इच्छा के विरोद्ध अनेक भारतीय युवकों ने शस्त्र उठाये थे। ये लोग क्रान्तिकारी कहलाए थे चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु बटुकेश्वर दत्त आदि ऐसे ही नाम हैं। ये लोग एक पवित्र उद्देश्य को सामने रखकर शस्त्रधारी बने थे। जनता को पीड़ित करके अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए उन्होंने हथियार नहीं उठाये थे।
स्वतन्त्र भारत आतंकवाद का प्रारम्भ पूर्वी सीमान्त से हुआ। नागालैण्ड, त्रिपुरा, असम आदि प्रदेशों में विदेशी शक्तियों के षड्यंत्र से आतंकवादी गतिविधियाँ काफी समय तक चलती रहीं। इसके बाद पाकिस्तान की शह पर और भारत के राजनीतिज्ञों के तुच्छ स्वार्थों से प्रेरित कार्यकलापों के कारण पंजाब आतंकवादी अत्याचारों से तड़पता रहा। वर्षों बाद वहाँ दोबारा लोकप्रिय सरकार की स्थापना हो सकी।
जम्मू-कश्मीर राज्य तो अभी तक आतंकवाद के प्रहारों से कराह रहा है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर, रेलवे स्टेशन पर, रघुनाथ मंदिर पर, दिल्ली में संसद भवन पर हमला, मुम्बई हमला, गुजरात में अक्षरधाम मन्दिर पर हमला और कोलकाता के अमेरिकन सेन्टर पर बम विस्फोट आतंकवाद के भीषण उदाहरण हैं।
भारत के आतंकवाद एक गंभीर समस्या बन चूका है। हमारे दो प्रधानमंत्री तथा एक अवकाशप्राप्त सेनाध्यक्ष इसकी भेंट चढ़ चुके हैं। हजारों निर्दोष व्यक्तियों को प्राण गँवाने पड़े हैं। कश्मीर तो आतंकवाद और भारतीय सशस्त्र बलों की रणस्थली बना हुआ है। पाकिस्तानी गुप्तचर संगठन बाकायदा आतंकवादियों को प्रशिक्षण और हथियार देकर भारत भेज रहा है ।
सन 1999 में कारगिल में सैकड़ों भारतीय अमर शहीदों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा में प्राण-न्यौछावर कर दिए, परन्तु पाकिस्तान अपनी हरकतों से आज भी बाज नहीं आ रहा है । स्थिति अत्यंत गंभीर है ।
मुक्ति के उपाय :-
आतंकवाद के विरुद्ध संसार का हर सभ्य और समझदार देश आवाज उठता है किन्तु यह रोग बढ़ता ही जा रहा है। इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक तथा सुसंगठित माफिया गिरोह हैं। आतंकवाद एक आग है। जो इससे खेल रहे हैं और अपने विरोधियों को आतंकित और परेशान करके मजा लेना चाहते हैं, वे भी इस आग में जल सकते हैं।
आज पाकिस्तान भी अपनी लगाई आग में जल रहा है। पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ पर भी दो बार आतंकी हमला हो चुका है, अतः इसे एक विश्वव्यापी मानवीय समस्या मानकर इसका समाधान किया जाना चाहिए।
आतंकवाद से मुक्ति का कोई एक अचूक इलाज हर देश में सफल नहीं हो सकता। परिस्थितियों और आतंकवाद के मूल कारणों पर विचार करके इसे समाप्त किया जा सकता है। पंजाब में निर्वाचित सरकार की स्थापना तथा जनता के सहयोग से शान्ति स्थापित हुई।
कश्मीर में भी निर्वाचित सरकार की स्थापना ने आतंकवादी गतिविधियों को कमजोर कर दिया है। पर कश्मीरी जनता को विश्वास में लेकर तथा आतंकवादी गतिविधियों का कठोरता से सामना करके ही पूर्ण सफलता मिल सकती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान के दुष्प्रचार का सामना करके जनमत बनाना होगा।
उपसंहार :-
आज पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी बन गया है। यह जेहाद के नाम पर आतंकियों का निर्यात भी करता रहा है। अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति से इसको परोक्ष संरक्षण मिल रहा है। भारत द्वारा ठोस प्रमाण प्रस्तुत किये जाने पर भी वह पाकिस्तान को आतंकवादी देश का दर्जा देने को तैयार नहीं होता। हमको अपने बलबूते ही आतंकवाद का सामना करना होगा।
क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर, सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर शासन से हार्दिक सहयोग करना चाहिए। सेना को नवीनतम सैन्य उपकरणों से समृद्ध किया जाना चाहिए और सारी गुप्तचर एजेन्सियों को अधिक चुस्त और समन्वित बनाना चाहिए। तभी हम इस दुरन्त समस्या से छुटकारा पा सकेंगे।
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